Fooled By Randomness

Fooled By Randomness

इंट्रोडक्शन

क्या आपको लगता है कि आपका अपनी लाइफ पर पूरा कंट्रोल है? जब चीजें आपके हिसाब से नहीं होती तो क्या आप निराशा, झुंझलाहट और गुस्सा महसूस करते हैं? या आप अपने कंधो को हिलाकर कहते हैं कि “ऐसा तो अक्सर होता है.” चाहे हम चीज़ों को कंट्रोल करने की कितनी भी कोशिश कर लें लेकिन रैंडमनेस एक ऐसी चीज़ है जिसे ख़त्म नहीं किया जा सकता. रैंडमनेस यानी बाय चांस कुछ हो जाना, अचानक कुछ होना जिसके बारे में पहले से कुछ कहा नहीं जा सकता. आपके द्वारा लिए गए हर एक एक्शन में कई संभावनाएं यानि probability होती हैं. ये दुनिया काफ़ी कॉम्प्लेक्स है इसलिए ये आपको कॉम्प्लेक्स probability देती है.

इस बुक में आप उस प्रोफेशन के बारे में जानेंगे जो probability को हैंडल करने के तरीके जानने पर डिपेंड करता है. आप सीखेंगे कि probability को एनालाइज करना क्यों evolution या डेवलपमेंट का हिस्सा नहीं है और असल में इसका क्या मतलब होता है. आप ये भी जानेंगे कि जब रैंडमनेस आपकी किस्मत का फ़ैसला करती है उस सिचुएशन में आप क्या कर सकते हैं.

तो आइए इस सफ़र की शुरुआत करते हैं और देखते हैं कि ये probability हमारी जिंदगी पर क्या क्या असर डालती है.

If You’re So Rich, Why Aren’t You So Smart?

इकॉनमी, स्टॉक्स, बांड्स और कई फाइनेंसियल टर्न्स के नाम सुनने में कितने डरावने लगते है ना. लेकिन हमारी कहानी के दो character नीरो और जॉन को ये डरावनी चीजें ही पसंद थीं क्योंकि ये उनका प्रोफेशन था. वो दोनों ट्रेडर थे और लगभग हर सामान खरीदने और बेचने का काम करते थे. भले ही इन दोनों का काम एक ही था लेकिन दोनों probability या चांस को अलग-अलग तरीके से हैंडल करते थे.

Probability हर फील्ड का एक अहम् हिस्सा है इसलिए ये सिर्फ़ स्टॉक मार्किट की बात नहीं है. हमारे पलक झपकने से भी ज़्यादा तेज़ी के साथ मार्केट का डिमांड और सप्लाई बदलता रहता है. इसलिए अगर आप एक ट्रेडर बनना चाहते हैं तो probability को देखने का सही नज़रिया जानना बहुत ज़रूरी है.

नीरो ट्युलिप प्रोफेसर था और अपने जॉब से बेहद नफ़रत करता था. उसे उन सुस्त मीटिंग में बैठना या पूरे दिन अपने डेस्क पर बैठे रहने से चिडचिडाहट होती थी. एक दिन शिकागो मर्केटाइल एक्सचेंज -जहां ट्रेडिंग का बिज़नेस होता है – के पास से गुज़रने के बाद नीरो बहुत excited हो गया. उसने देखा कि कई अमीर ट्रेडर कितने कांफिडेंस के साथ घूम घूमकर फ़ोन पर बात कर रहे थे. बस उसने उसी वक़्त फ़ैसला कर लिया कि ये काम उसके लिए ही बना है. नीरो एडवेंचर और excitement चाहता था और फाइनेंसियल इंडस्ट्री में इसकी बिलकुल कमी नहीं है.

नीरो ने हर जगह ध्यान देने के बजाय ट्रेडिंग के एक खास ब्रांच पर फोकस करना शुरू किया. उसका ये फोकस रंग लाया क्योंकि कम समय में ही वो बहुत पैसा कमाने लगा था. ऐसा लग रहा था जैसे मार्केट में आते ही वो इंस्टेंट हिट हो गया हो. अब ट्रेडिंग कंपनियों में उसकी सर्विस लेने की होड़ लग गई. क्योंकि नीरो अपना हर फ़ैसला बहुत सावधानी से लेता था, मार्केट को पूरा स्टडी करने के बाद एक्शन लेता था इसलिए नीरो कुछ दिनों के लिए छुपकर मार्केट से दूर रहा. वो उन तेज़ तर्रार ट्रेडर्स की तरह नहीं बनना चाहता था जो हमेशा बिजी रहते थे और हर गुज़रते दिन के साथ घमंडी होते जा रहे थे. नीरो एक ऐसे माहौल में रहना चाहता था जहां वो ट्रेड मार्केट को अच्छे से स्टडी कर सके.

इसलिए नीरो अब Proprietary trading करने लगा. Proprietary trading तब होता है जब कोई ट्रेडर स्टॉक्स, बांड्स या किसी भी फाइनेंसियल इंस्ट्रूमेंट को फर्म के ख़ुद के पैसे के साथ ट्रेड करता है नाकि depositors के पैसे से ताकि वो फर्म के लिए प्रॉफिट कमा सके. नीरो अब भी एक कंपनी का एम्प्लोयी था और उनके पैसे से ट्रेडिंग करता था. लेकिन वो सेट अप इस तरह बनाया गया था कि ये कहना गलत नहीं होगा कि वहाँ नीरो सेल्फ़ employed था.

नीरो अपने काम में इतना माहिर इसलिए था क्योंकि वो probabilities को सीरियसली लेता था. वो अपनी इनकम को बहुत बुद्धिमानी से ख़र्च करता और उसमें से कुछ सेविंग्स अकाउंट में जमा भी करता रहता था. वो और उसकी पत्नी एक आम और मामूली घर में रहते थे और उन्हें क्या खरीदना चाहिए और क्या नहीं इसका डिसिशन बड़ी प्रैक्टिकल सोच से लेते थे. फाइनेंसियल मार्केट में डील करने की एक बात जो उसे अलग बनाती है वो ये है कि आप बड़ी तेज़ी से अमीर हो सकते हैं. अगर आप लोगों या कंपनियों को समझाने या मनाने में माहिर हैं और कुछ भी आसानी से बेच सकते हैं तो आप इसमें बहुत पैसा कमा सकते हैं.

Example के लिए, आप अपनी कंपनी या ख़ुद के पैसों को एक लगातार बढ़ते हुए नए प्रोडक्ट में लगाते हैं तो जैसे-जैसे वो प्रोडक्ट अच्छा बिज़नेस करेगा वैसे-वैसे आपका पैसा डबल या टिपल होता जाएगा. लेकिन इस सौदे का एक दूसरा पहलू भी है. अगर आप एक प्रोडक्ट पर बहुत ज़्यादा पैसा लगा देते हैं और मार्केट अचानक से क्रैश हो जाता है तो आप अपना सारा पैसा खो देंगे. मार्केट क्रैश के कारण कई बार ट्रेडर्स क़र्ज़ में भी डूब जाते हैं. वे इस probability पर बहुत ज़्यादा भरोसा कर लेते हैं कि वे हर ट्रेडिंग opportunity के साथ हमेशा अमीर होते जाएंगे मगर इस बात को अनदेखा कर देते हैं कि हारने के चांस कितने हैं.

लेकिन नीरो बहुत स्मार्ट था उसने कभी भी अपना या कंपनी का बहुत ज़्यादा पैसा लगाकर रिस्क नहीं लिया. हाँ, बहुत ज़्यादा रिस्क लेने का मतलब ये है कि आप बदले में बहुत ज़्यादा कमाएंगे भी लेकिन इस situation में पैसा खो देने का चांस भी तो उतना ही ज्यादा होगा. इसलिए नीरो कई दूसरे ट्रेडर्स जितना अमीर नहीं था. वो कितने पैसों का ट्रेड करेगा इसके लिए वो एक फिक्स्ड अमाउंट सेट कर लेता था.

दूसरी ओर जॉन नीरो से बिलकुल opposite था. नीरो से ज़्यादा पैसे वाला होने के अलावा, जॉन बहुत ही ऐशो आराम और ख़र्चीली लाइफस्टाइल जी रहा था. वो हमेशा कुछ ना कुछ नया और हद से ज़्यादा महँगा ख़रीदता ही रहता था. वो शो ऑफ करता था ताकि लोगों को पता चले कि उसके पास बेशुमार पैसा था.

नीरो और जॉन पड़ोसी थे और एक दूसरे को जानते थे. नीरो जॉन जैसे ट्रेडर्स से दूरी बनाए रखने में ही भलाई समझता था. जॉन ने अपने करियर में बहुत पैसा लगाकर बड़े-बड़े रिस्क लिए. अक्सर वो रिस्क उसके favor में होते थे इसलिए वो अनाब शनाब पैसा कमाए जा रहा था. बहुत पैसा इंवेस्ट करने में ये बात देखि गई है कि आपको इसकी लत लग जाती है. अक्सर इंसान ये भूल जाता है कि ये possibility भी तो है कि वो सब कुछ गवां सकता है.

और एक बार जॉन के साथ बिलकुल ऐसा ही हुआ. उसने बहुत ज़्यादा पैसा लगा दिया और मार्केट अचानक से क्रैश हो गया. इससे भी ज़्यादा बुरा तो तब हुआ जब जॉन को उसकी जॉब से निकाल दिया गया. एक बात हमेशा याद रखें कि कोई भी probability कितनी भी छोटी क्यों न हो, फ़िर भी उसके सच होने का चांस तो बना ही रहता है.

SURVIVAL OF THE LEAST FIT: CAN EVOLUTION BE FOOLED BY RANDOMNESS?

कार्लोस एक सक्सेसफुल ट्रेडर था. उसने इकोनॉमिक्स में पढ़ाई की थी इसलिए वो ट्रेडिंग करने में अच्छा था. ये पता होना कि इकॉनमी कैसे काम करती है और पैसों को एक जगह से दूसरे जगह मूव करते रहने की कला एक जबरदस्त कॉम्बिनेशन है. उसके इसी गहरी नॉलेज के कारण कंपनी, इंवेस्टर सभी की कार्लोस की सर्विस लेने के लिए लाइन लग गई. कार्लोस ने एक साल में कई मिलियन कमाए, इसके साथ साथ उसे जॉब में प्रमोशन भी मिली.

गर्मियों का सीजन शुरू हुआ और कार्लोस को बहुत ही कम समय में 300 मिलियन डॉलर का नुक्सान हुआ. इस पैसे को खोने की शुरुआत उसके ईगो और सच्चाई को नकारने के साथ हुई. मार्केट में उतार चढाव होना आम बात है. ट्रेडर और इकोनॉमिस्ट जैसे कि कार्लोस बेशक इसे ध्यान में रखते हैं. जब भी किसी मार्केट के नीचे जाने का साइन दिखाई देता तो कार्लोस वहाँ से खरीदना शुरू कर देता. ये उसकी पर्सनल technique थी. वो जानता था कि मार्केट वापस ऊपर चला जाएगा और आमतौर पर उसके बाद वैल्यू बढ़ जाती है. इसलिए जब Russian बांड्स का मार्किट गिर रहा था तो कार्लोस ने कई बांड्स ख़रीद लिए. उस वक़्त एवरेज Russian बांड की वैल्यू 52 $ थी. तो अगर मार्केट ऊपर जाता, जैसा कि कार्लोस ने अनुमान लगाया था, तो उसे 100 मिलियन $ से भी ज़्यादा कमाई होती. लेकिन उस दौरान मार्केट नीचे गिरता ही जा रहा था और उसके बढ़ने का कोई साइन नहीं दिख रहा था.

जून के आखरी हफ़्ते में एवरेज Russian बांड की वैल्यू 48$ से कम पहुँच गई और जुलाई तक प्राइस 43$ हो गया था. अब कार्लोस ने जो बांड ख़रीदे थे उनकी ना के बराबर वैल्यू रह गई थी. उसने जिस दाम पर उसे ख़रीदा था उसे वो अगर 43$ पर बेचता तो उसे और ज़्यादा नुक्सान होता. August आते आते बांड्स की वैल्यू 10% के आस पास हो गई और कार्लोस को जॉब से निकाल दिया गया.

अगर आप किसी फील्ड के एक्सपर्ट हैं तब भी ये possibility है कि आप मार्केट को गलत read कर सकते हैं और आपका इन्वेस्टमेंट बैक फायर कर सकता है. कार्लोस ने इकॉनमी को एनालाइज करने की अपनी एबिलिटी पर भरोसा किया. इस चीज़ ने पिछले कुछ सालों में तो उसके लिए अच्छे से काम किया लेकिन इकॉनमी कभी एक जैसे काम नहीं करती. इसलिए इस बात का हमेशा चांस बना रहता है कि आप कोई ना कोई फैक्टर मिस कर देंगे जो नुक्सान का कारण बनता है.

कई बार हम ये सोचने की गलती कर देते हैं कि क्योंकि एक ट्रेडर अच्छा कमा रहा है तो वो अपने काम में माहिर होगा. लेकिन एक कारण है कि क्यों एक ट्रेडर अपने काम में अच्छा है – वो कारण है रैंडमनेस.

जब मार्केट अपने पीक पर था तब कार्लोस ने टेडिंग करना शुरू किया था. मार्केट आमतौर पर एक साईकल से गुज़रता है जिसमें एक पॉइंट पर आकर वो काफ़ी बढ़ता है. उस point पर मार्केट ग्रो करता है और जो ट्रेडर उसमें participate करते हैं वो भी बहुत पैसा कमाते हैं. यही कारण है कि अक्सर ट्रेडर्स successful हो जाते हैं. जब कंपनियों और बिज़नेस की बात आती है, तो ये माना गया कि competitive होना ही ये डिसाइड करता है कि कौन सबसे बेस्ट है. अगर आपकी कंपनी अच्छा परफॉर्म कर रही है तो आप आसानी से दूसरी कंपनियों को पछाड सकते हैं. जो उतने अच्छे नहीं हैं वो बंद हो जाते हैं. लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता.

यही बात evolution पर भी लागू होती है. जो लोग जिंदा बच जाते हैं वो ज़रूरी नहीं कि सबसे बेस्ट हों. हमारी दुनिया में हमेशा एक रैंडमनेस बना रहता है. रैंडमनेस के साथ आता है नेगेटिव म्युटेशन यानी बदलाव. ये वो लक्षण हैं जो evolution होने के बावजूद भी आज तक बने हुए हैं. ये लंबे समय तक नहीं रहते और अंत में ख़त्म हो जाते हैं लेकिन ये कई generation तक पास होते जाते हैं. इसी तरह, सिर्फ इसलिए कि एक जानवर जिंदा बच गया इसका ये मतलब नहीं है कि वो बेस्ट था. एवरेज में हर जानवर जिंदा रहने जितना फिट हो सकता है. लेकिन यहाँ बात ये है कि नेगेटिव म्यूटेशन के कारण हर इंसान जिंदा रहने के लिए फिट नहीं होगा. ऐसा ही कुछ कार्लोस के साथ हुआ था. अपने प्रोफेशन में वो बेस्ट सर्वाइवर था लेकिन उसके सामने ऐसे सिचुएशन आए जिसने उसे टेस्ट किया कि वो असल में अपने काम में कितना अच्छा है । और दुःख की बात ये है कि इन सिचुएशन में पता चला कि वो बेस्ट नहीं था.

TOO MANY MILLIONAIRES NEXT DOOR

मार्क न्यू यॉर्क शहर में एक सक्सेसफुल लॉयर थे. वो अपनी पत्नी जेनेट और तीन बच्चों के साथ पार्क एवेन्यू में रहते थे. वो इलाका अमीर और सक्सेसफुल लोगों से भरा हुआ था. हालांकि, मार्क अपने काम में बहुत अच्छे थे और उन्हें अच्छी ख़ासी सैलरी मिलती थी फ़िर भी वो अपने परिवार के साथ एक आम और साधारण जिंदगी जी रहे थे. पड़ोसियों की तुलना में उनका परिवार काफ़ी अलग था.

हार्वर्ड और येल लॉ स्कूल से पढ़ कर निकले मार्क के लिए ये कहना गलत नहीं होगा कि वो बहुत इंटेलीजेंट थे. उनकी बुद्धिमानी ने उन्हें सक्सेस दिलाई और न्यू यॉर्क के एक जाने माने लॉfirm में पोजीशन पाकर उन्होंने अपने लिए एक खास मुकाम हासिल कर लिया था. हालांकि, इस जॉब में काफ़ी मेहनत और टाइम देना पड़ता था लेकिन मार्क इतने स्ट्रेसफुल और competitive माहौल में भी ग्रो कर रहे थे.

मार्क के बच्चे एक प्राइवेट स्कूल में पढते थे जहां जेनेट की मुलाक़ात अमीर और फेमस बिजनेसमैन की पत्नियों से होती थी. मार्क की अच्छी सैलरी के बावजूद जेनेट के मन में रह-रह कर ख़याल आने लगा कि उस पूरे एरिया में उनका परिवार सबसे गरीब था. उनके पड़ोसी अक्सर हाई प्रोफाइल सोशल इवेंट्स अटेंड करते और छुटियाँ मनाने नए नए फॉरेन लोकेशन पर जाते. औरतें बड़ी बड़ी डायमंड रिंग शो ऑफ करती और उनके पति एक्सपेंसिव कार ख़रीदते थे.

अब मार्क का बैकग्राउंड देखते हुए क्या आपको लगता है कि वो अपने पडोसी की तलना में गरीब थे? क्या वो उन फैंसी वॉल स्ट्रीट बिजनेसमैन या रेस्टोरेंट चैन ओनर्स के जितने सक्सेसफुल नहीं थे?

ये survivorship bias का एक बेहतरीन example है. जेनेट ने अपने पति को गलत लोगों के साथ compare किया. दूसरे अमेरिकन सिटिज़न्स की तुलना में मार्क 99.5% लोगों से ज्यादा अच्छा परफॉर्म कर रहे थे. यहाँ तक कि वो अपने स्कूल के दोस्तों से भी ज़्यादा अच्छी लाइफ जी रहे थे.

हार्वर्ड में अपने समय के दौरान, मार्क के पास 90% लोगों से ज़्यादा पैसा था. येल के समय वह सभी स्टूडेंट्स के 60% बेहतर perform कर रहे थे. इन लोगों के बीच मार्क नंबर ] थे लेकिन अपने पड़ोसियों की तुलना में वो उनसे थोड़ा नीचे थे. यही बायस, यानी जब हम किसी बात को facts और logic के बेसिस पर समझे बिना पहले ही मान लेते हैं, हमें हमेशा खुद से ऊपर वालों के साथ compare करने पर मजबूर करता है. लेकिन ये आपको आपसे नीचे वालों के साथ compare करने को नहीं कहता.

मार्क के केस में जेनेट ने भी यही बायस दिखाया जब उसने मार्क को ऐसे लोगों के साथ compare किया जिसके सामने मार्क की अचीवमेंट छोटी लग रही थी. इसके बजाय अगर वो मार्क को उनके स्कूल के दोस्तों के साथ compare करती तो उसे मार्क की अचीवमेंट बहुत बड़ी लगती. बेस्ट सेलिंग बुक The Millionaire Next Door इसी बारे में बताती है.

उस बुक के ऑथर्स ने कई अमीर लोगों को स्टडी किया क्योंकि वो जानना चाहते थे कि उन सभी में ऐसी कौन सी quality थी जो कॉमन थी. इस बुक ने दावा किया कि अमीर लोग अमीर लोगों की तरह नहीं दिखते हैं. उनके पास कपड़े या महँगी चीजें ख़रीदने का वक़्त ही नहीं होता. अमीर लोग और ज़्यादा पैसा कमाने में अपना टाइम बिताते हैं.

वो बुक ये बताना चाहती है कि सिर्फ इसलिए कि कोई अमीर दिखता है इसका ये मतलब नहीं है कि वो सच में अमीर है. लेकिन ऑथर्स ने ख़ुद वो बायस दिखा दिया था जब उन्होंने उस स्टडी की शुरुआत की थी. जिन अमीर लोगों का सैंपल उन्होंने अपने रिसर्च में शामिल किया था वो ऐसे लोग थे जो आज तक अमीर बने हुए थे.

उनमें वो अमीर शामिल नहीं थे जिनका दिवाला निकल गया था या जिन्होंने अपना सब कुछ खो दिया था. इस बुक ने इस फैक्ट को भी अनदेखा कर दिया कि इनमें से कुछ लोगों के पास बहुत दौलत इसलिए थी क्योंकि वो लकी थे कि उन्होंने सही जगह पैसा इंवेस्ट किया था. तो हम देख सकते हैं कि probability हर जगह मौजूद होती है.

RANDOMNESS AND OUR BRAIN: WE ARE PROBABILITY BLIND

इमेजिन कीजिए कि आपके पास वेकेशन पर जाने के लिए दो जगह में से चुनने की चॉइस है – पेरिस या कैरिबियन. जब आप दोनों option के बारे में सोचते हैं तो आप एफिल टॉवर के romantic और दिल खुश कर देने वाले नज़ारे को इमेजिन करते हैं. लेकिन आप कैरिबियन में बैठे हुए दिल को सुकून देने वाली हवा और गर्म धूप के ख्यालों में भी खो जाते हैं. आप जानते हैं कि इन दो में से आप सिर्फ एक ही option चुन सकते हैं इसलिए इन दोनों ही जगहों पर जाने की probability 50% है.

अब यहाँ चीजें कितनी क्लियर हैं लेकिन यहीं तो चीजें दिलचस्प भी हो जाती हैं. क्या आप दोनों जगह ख़ुद को एन्जॉय करते हुए इमेजिन कर सकते हैं? क्या आप ख़ुद को कैरिबियन के समद में तैरते हए और बाहर निकलने के बाद पेरिस की सहानी बारिश में भीगते हए खुद को इमेजिन कर सकते हैं? ये बिल्कुल नामुमकिन सा है ना? ऐसा इसलिए है क्योंकि हमारे माइंड के लिए दो या उससे ज़्यादा probability से डील करना मुश्किल होता है क्योंकि आमतौर पर एक probability दूसरे पर ज़्यादा हावी रहती है.

इसका एक और example है, पहले चैप्टर में जब नीरो को डॉक्टर ने बताया था कि उसे कैंसर है तो उन्होंने कहा था कि 72% चांस है कि नीरो उस बीमारी से ठीक हो सकता है. हालांकि अब भी 28% चांस था कि नीरो मर सकता था. अब यहाँ नीरो ने अपने जिंदा रहने के 72% चांस पर फोकस करना चुना. कैसर का पता चलने के बाद भी उसका नज़रिया पॉजिटिव बना रहा. अब यहाँ नीरो का ये सोचना कि वो 72% जिंदा रहेगा और 28% मर जाएगा, ये तो impossible है ना.

हम एक वक़्त में सिर्फ एक ही probability पर फोकस कर सकते हैं क्योंकि हम इसी तरह से evolve हुए हैं. लगभग 3,000 से 5,000 साल पहले के हमारे पूर्वजों के पास आज जितने option मौजूद नहीं थे. उनके समय के दौरान, सफ़र करना भी बहुत मुश्किल हुआ करता था. आने जाने के लिए ट्रांसपोर्ट की सुविधा नहीं थी और कब अकाल या सूखा पड़ जाए उस बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता था.

इसलिए अपने रहने की जगह से बाहर निकलना सेफ़ नहीं था. वो अपने गाँव तक ही सीमित रहते थे इसलिए बहुत कम लोगों को जानते पहचानते थे. उस समय की जिंदगी काफी सिंपल थी इसलिए हमारे पूर्वजों के सामने probability भी कम थी. आज इस मॉडर्न समय में हम भी ज़्यादा probability को समझ नहीं पाते क्योंकि हमारे पूर्वजों को इससे डील नहीं करना पड़ा था और वो उनसे पास होते होते हमारी generation तक आ गया.

एक और कारण है कि हम multiple probability हैंडल क्यों नहीं कर पाते, वो कारण है बायोलॉजी और हमारे सोचने का तरीका. हमारी समझ यानी understanding और probability को समझने की समझ हमने बहुत कम है. हम बस ख़ुद को जिंदा रखने के बारे में सोचते हैं. कभी कभार हम probability को समझने की कोशिश करते हैं लेकिन वो सिंपल होता है, complicated नहीं. इसका मतलब है कि हम सिर्फ़ उन probabilities को स्वीकार करते हैं जिसका ताल्लुक हमारे जिंदा रहने से होता है.

BACCHUS ABANDONS ANTONY

अब जब आप जानते हैं कि probability का कितना गहरा असर होता है और उसका सामना करते वक़्त हम कितने निराश हो जाते हैं तो आप कैसा महसूस कर रहे हैं? क्या अब आप “यही जिंदगी है” वाला attitude एक्सेप्ट कर लेंगे? या आप अपने विश्वास को कसकर पकड़े रखेंगे कि आप अपने साथ होने वाली हर चीज़ को कंट्रोल कर सकते हैं.

फ्रेंच राइटर हेनरी डी मॉन्थरलेंट ने 2nd आप्शन चुना था. एक बार डॉक्टर से मिलने के बाद उन्हें पता चला कि एक बीमारी की वजह से वो अपने आँखों की रौशनी खोने वाले थे. probability के इस सिचुएशन में हेनरी ने अपनी जान लेने का फैसला किया. इस केस में हेनरी का ये नज़रिया था कि अगर कोई अनहोनी हो जाती है तो वो अपनी किस्मत को एक्सेप्ट नहीं करेगा बल्कि उसे कंट्रोल करने की कोशिश करेगा, जो इस केस में नामुमकिन था. हालांकि unexpected सिचुएशन में अक्सर हमारा कंट्रोल नहीं होता लेकिन चिंता ना करें. आप इसकी तुलना एक महान हीरो से कर सकते हैं जिसके बारे में हम अक्सर कहानियों में पढ़ते हैं. भले ही हीरो की किस्मत इतनी अच्छी ना हों फ़िर भी उसकी तारीफ़ की जाती है. ऐसा इसलिए है क्योंकि कहानी के दूसरे characters को उनके एक्शन के लिए जज किया गया, उनके रिजल्ट के लिए नहीं. आप ये डिसाइड कर सकते हैं कि आप unexpected situation का सामना कैसे करेंगे.

कई सिचुएशन में हम कुछ भी नहीं कर सकते, उस कंडीशन में उसे शांति से एक्सेप्ट करना चाहिए और जो चीजें आपके कंट्रोल में हैं उन्हें कंट्रोल करने की कोशिश करनी चाहिए. यही बात ग्रीक poet कैवाफ़ी ने अपनी अद्भुत और फेमस poem में समझाने की कोशिश की थी जो मार्क एंटनी के बारे में थी जिन्हें जंग में ऑक्टेवियस ने हराया था. एंटनी की हार इसलिए हुई क्योंकि बाचस, जो देवता उनकी रक्षा करते थे, उन्हें अचानक छोड़ कर चले गए थे. इस हार से एंटनी ट गए. यहां तक कि एक शख्स का कहना था कि एंटनी का घोड़ा भी उन्हें छोड़ कर चला गया था. ये poem एंटनी को दिलासा देते हुए कहती है कि इस हार को पूरे सम्मान के साथ स्वीकार करो क्योंकि जीतने की probability उनके कंट्रोल में नहीं थी. ये poem हमें एंटनी के ज़ज्बातों के बारे में बताती है जो वो उस दौरान महसूस कर रहे थे और उन्हें कहती है भावनाओं को दबाओ मत क्योंकि चाहे हम उनसे कितना भी बचना चाहें, ये ज़ज्बात ही हमें इंसान बनाते हैं. भले ही आपकी किस्मत आपका साथ ना दे लेकिन हर बुरे एक्सपीरियंस का शांति और हिम्मत से सामना करें.

वक़्त चाहे कितना भी बुरा हो, अगर आपका नजरिया सही हुआ तो वो वक़्त भी ठीक से बीत जाएगा. अगर आपको अपने हेल्थ के बारे में कोई बुरी ख़बर मिले तो ख़ुद पर दया मत करो. इस तरह से व्यवहार करो कि लोग आपके एक्शन को याद रखें, चाहे रिजल्ट कितना भी बुरा हो कोई फ़र्क नहीं पड़ता.

कन्क्लूज़न

तो आपने एक ट्रेडर के प्रोफेशन के बारे में जाना और ये समझा कि इस प्रोफेशन में ऐसे लोगों की ज़रुरत है जो बुद्धिमानी से probability को एनालाइज करना जानते हों.

Financial market में अपने risk exposure के ऊपर ध्यान दें, अपने डिसीजन या skill को लेकर over confident ना हों और इस बात को याद रखें कि एक situation के कई probability या result हो सकते हैं. इस बात को नकारने की कोशिश ना करें कि profit और loss दोनों में randomness और luck का भी हाथ होता है.

आपने नीरो के बारे में पढ़ा कि कैसे उसने बड़े गौर से उसके बेहद अमीर होने और बेहद गरीब होने के चांस के बारे में सोचा और उसने बीच में रहना चुना.

आपने जाना कि मार्केट कितना unpredictable होता है और यही बात दुनिया के लिए भी कही जा सकती है.

आपने ये भी समझा कि चाहे आप कितने भी बड़े एक्सपर्ट क्यों ना हों, रैंडमनेस के आगे किसी का बस नहीं चलता.

बेशक, आप पुराने ट्रेंड को देखकर आगे के लिए प्रेडिक्शन कर सकते हैं लेकिन यहाँ कुछ भी फिक्स्ड नहीं है और ना ही guarantee नाम की कोई चीज़ होती है.

आपने ये भी समझा कि सिर्फ इसलिए कि जानवरों की कोई जाती या कोई कंपनी सर्वाइव कर पाए तो वो बेस्ट होंगे. Evolution के भी कई साइड इफ़ेक्ट हैं. कई लक्षण या व्यवहार एक generation से दूसरे तक पास होते जाते हैं जबकि उनका कोई क्लियर मकसद नहीं होता.

आपने सर्वाइवल बायस के बारे में जाना कि ये कैसे हमारे नज़रिए को बदलकर रख देती है. सर्वाइवल बायस यानी किसी इंसान या कंपनी को किसी ऐसी चीज़ के साथ compare करना जो पहले से ही बहुत ज़्यादा सक्सेसफुल है. ज़ाहिर सी बात है कि आप अगर ख़ुद को सक्सेसफुल लोगों के साथ compare करेंगे तो आप ख़ुद को एक फेलियर ही समझेंगे. लेकिन जब आप अपने ही लेवल के लोगों के साथ खुद को compare करेंगे तो आपको एक अलग रिजल्ट मिलेगा. तब शायद आप एक विनर बनकर सामने आएं.

आपने ये भी जाना कि evolution के कारण दो या उससे ज़्यादा probability के बारे में सोचना हमारे लिए मुश्किल है. हमारे जीवन की इस रैंडमनेस का सामना करना हमें बेहद मुश्किल लगता है क्योंकि हमारे पूर्वजों को कई probabilities का सामना नहीं करना पड़ा था जो आज हमें करना पड़ रहा है.

इस बात से निराश ना हों कि कितनी कम चीजें हमारे कंट्रोल में होती हैं. हालांकि रैंडमनेस अपना असर डालती है फ़िर भी एक्शन लेने का कंट्रोल तो हमारे हाथों में है. जिंदगी हमें लगातार सरप्राइज करती है. भले ही हमें कभी-कभी गुस्सा आता है लेकिन ये रैंडमनेस ही इसे दिलचस्प भी बनाती है. आगे क्या होने वाला है इस बारे में अनजान रहना हम में एक सेंस ऑफ़ excitement पैदा करता है. रैंडमनेस अच्छी और बुरी दोनों चीजें लेकर आती है.

निकोलस स्पार्क्स ने एक बार कहा था कि अगर आपको लगता है कि कोई चीज़ इससे बदतर नहीं हो सकती, तो वो हो जाती है लेकिन यह पॉजिटिव या नेगेटिव किसी भी डायरेक्शन में जा सकता है. अगर आपको लगता है कि कोई चीज़ बेहतर नहीं हो सकती, तो भी यह हो सकती है. इसलिए जो भी रैंडमनेस आपके रास्ते में आती है उसे गले लगाओ. जिन्दगी किसी पहेली से कम नहीं है इसलिए unexpected चीजो के लिए तैयार रहें और उसे खुले दिमाग से accept करें.

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