Bulletproof Diet

Bulletproof Diet

इसमें आपके लिए क्या है?

इस किताब में हम दुनिया की सबसे अच्छी डाइट (Diet) के रहस्य के बारे में जानेंगे। बुलेटप्रूफ डाइट में लेखक ने सेहतमंद खाने के बारे में बहुत सी ऐसी बातें बताई हैं जो इस किताब की सबसे बड़ी खोज है।

वो खाना हमारे लिए बेहतरीन होता है जिसमें भरपूर फैट और सब्जियाँ हों, जरूरत भर प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट्स हो और स्टार्च और नुक्सानदायक चीजें कम से कम हो।

इस किताब को पढ़कर हम सीखेंगे कि हमारा शरीर कैसे काम करता है और कैसे हम इसकी ताकत को बढ़ा सकते हैं। इसे पढ़कर हम जानेंगे कि हमें फैट क्यों खाना चाहिए और उपवास क्यों करना चाहिए। हम इन दोनों कामों करने के सही तरीके के बारे में जानेंगे। दिए गए सबक़ को पढ़कर हम जानेंगे कि क्यों बहुत से लोग अपने कॉफ़ी में बटर डालते हैं और आपको भी क्यों डालना चाहिए।

आपये भी सीखेंगे कि:

• कौन सी कॉफ़ी नुक्सानदायक होती है।

• क्यों मीट खाना फायदेमंद होता है।

• ज़्यादा फैट खा कर हम कैसे अपने सोचने की क्षमता को बढ़ा सकते हैं।

कॉफ़ी में बहुत नुकसानदायक चीजें पायी जाती हैं।

बहुत सारे लोग काम पर जाने से पहले कॉफ़ी पीना पसंद करते हैं पर उन्हें ये नहीं पता कि कॉफ़ी में एंटी न्यूट्रिएंट कंपाउंड होते हैं जो हमारे शरीर को न्यूट्रिएंट सोरखने नहीं देते। ये एंटी न्यूट्रिएंट कंपाउंड बीज, पौधे और बीन्स में पाये जाते हैं और इससे सेहत पर बुरा असर पड़ता है।

बहुत लोग अनजाने में ही इन एन्टी न्यूट्रेंट्स को लेते रहते हैं। इनका पता लगाना मुश्किल होता है। कॉफ़ी बीन्स में ये प्राकृतिक रूप से पाया जाता है। एक स्टडी में पाया गया कि ब्राज़ील में उगने वाली 90% कॉफ़ी में ये नुकसानदायक चीजें पाई जाती हैं। एक और स्टडी पाया गया कि मार्केट की 50% कॉफ़ी में ये नुकसानदायक चीजें पाई जाती हैं।

यह एक बहुत बड़ी समस्या है। साउथ कोरिया और जापान ने कॉफ़ी पर कानून लागू कर दिए हैं जिससे ज्यादा एंटी न्यूट्रीएंट्स वाली कॉफ़ी पर बैन लगा दिया गया है। यूनाइटेड स्टेट्स और कैनेडा में ऐसा कोई कानून नहीं है जिससे यहाँ की कॉफ़ी में एंटी न्यूट्रीएंट्स ज्यादा पाये जाते हैं।

इन नुक्सानदायक चीज़े से बहुत से रोग जैसे कार्डिओमायोपैथी, ह्यपरटेंशन, कैंसर, किडनी से सम्बंधित रोग और दिमागी नुक्सान हो सकता है। तो कॉफ़ी खरीदते समय सावधान रहिये। सस्ती कॉफ़ी खराब क्वालिटी के बीन्स से ही नहीं बनी होती, इसमें ये नुकसानदायक चीज़े ज्यादा मात्रा में पायी जाती हैं।

कॉफ़ी से कैफीन निकाल कर पीने से कोई फायदा नहीं होगा। कैफीन इन नुक्सानदायक चीजों को कॉफ़ी बीन्स पर उगने नहीं देता। ये एंटी फंगल की तरह काम करता है।

इनसे बचने के लिए आप कॉफ़ी उन दुकानों से लीजिये जो खुद का रोस्टर इस्तेमाल करते हों। आप ब्लेंडेड कॉफ़ी की जगह सिंगल ओरिजिन कॉफ़ी का इस्तेमाल कीजिये।

अपनी कॉफ़ी में बटर डाल कर पीजिये।

आपको कॉफ़ी पूरी तरह से छोड़ने की जरूरत नहीं है, बस उसे सही से पीना सीख लीजिये। कैफीन के बहुत से फायदे होते हैं। ये दिमाग की जलन को कम करता है, इन्सुलिन सेंसिटिविटी को बढ़ाता है जिससे वजन कम करने में मदद मिलती है। आप कॉफ़ी के फायदे को उसमें बटर मिला कर बढ़ा सकते हैं।

मगर ऐसा करने से क्या होगा?

जब हम दूध की जगह बटर इस्तेमाल करते हैं, तो हमें तीन से चार गुना ज्यादा एंटी ऑक्सीडेंट्स मिलते हैं। पोलीफेनोल (Polyphenol) पर दूध का बुरा असर पड़ता है। पोलीफेनोल एक तरह का एंटी ऑक्सीडेंट है, जो काफी में पाया जाता है।

बटर में ब्यूटिरिक एसिड (Butyric Acid) होता है जो जलन को कम कर इन्टेस्टाइन को ठीक करता है। चूहों पर की गई एक स्टडी में ये बात सामने आयी कि कॉफ़ी के साथ फैट लेने से वजन कम होता है।

कॉफ़ी के साथ फैट लेने से आपको कीटोसिस हो सकता है। 6 कीटोसिस एक स्टेज है जिसमें आपका शरीर शुगर की जगह फैट को इस्तेमाल कर आपको एनर्जी देता है।

अपने कॉफ़ी में मीडियम चेन ट्रीग्लिसराइड आयल (Medium Chain Triglyceroid Oil) या एम सी टी का इस्तेमाल करके भी आप कीटोसिस को हासिल कर सकते हैं। ये कोकोनट या पाम आयल से बनाया जाता है और इसमें मामूली कोकोनट आयल से 18 गुना ज़्यादा मीडियम चेन ट्रीग्लिसराइड आयल होता है।

कॉफ़ी एम सी टी मिलाने से हमारा शरीर फैट को एनर्जी सोर्स के जैसे इस्तेमाल करता है। लेखक ने खुद के डाइट पर एक्सपेरिमेंट किया। उन्होंने दो कप चावल के साथ शूशी खाया और अगले दिन उन्होंने देखा की उनके खून का कीटोन लेवल 1 था। अगर आपका कीटोन लेवल 0.6 है, तो आपको कीटोसिस है।

इस बुलेटप्रूफ कॉफ़ी को पीने के 30 मिनट के बाद ही लेखक ने देखा की उसका कीटोन लेवल 0.7 हो गया। कुछ लोग कार्ड्स खाना बंद करके भी ये काम कर सकते हैं मगर इसमें उन्हें इसमें तीन दिन लग सकते हैं।

एम सी टी एक स्ट्रॉन्ग आयल है जो कार्ब लेने के बाद भी कीटोन लेवल को कम कर सकता है। पर इसे थोड़ी मात्रा में ही ले वरना आप बीमार पड़ सकते हैं।

इन्टेस्टाइन के नुकसानदायक बैक्टीरिया से जलन या इन्सुलिन रेजिस्टेंस हो सकता है।

हम इन्टेस्टाइन के फ़ायदेमंद बैक्टीरिया को बढ़ावा दे कर बुलेटप्रूफ बन सकते हैं। ये बैक्टीरिया हमारे सेहत पर बहुत असर डालते हैं और हमारे खान पान से इनपर बहुत असर पड़ता है। चूहों पर की गई स्टडी से हमें सेहतमंद रहने और वजन काम करने के बहुत से तरीके मिले हैं। वजन सिर्फ खाने पर ही नहीं, इन बैक्टीरिया पर भी डिपेंड करता है।

जब मोटे चूहे से माइक्रोब को निकाल कर पतले चूहे में डाल दिया गया तो उसका इन्सुलिन रेजिस्टेंस बढ़ गया और वो 10% ज्यादा खाना खाने लगा। मोटे और पतले इंसानो में भी बैक्टीरिया अलग अलग होते हैं।

पतले लोगों के पास बक्टेरिओडेट्स होते है जिससे वो पतले होते है। पोलीफेनोल खा कर आप बक्टेरिओडेट्स को बढ़ा सकते है। पोलीफेनोल सब्जी, गाजार, कॉफ़ी और चॉक्लेट में पाया जाता है। चावाल, आलू और गाजर में रेसिस्टेंट स्टार्च पाया जाता है जिसे खाने से हम अपने माइक्रोबायोम को बदल सकते हैं। इन्हे रेसिस्टेंट स्टार्च इसलिए कहा जाता है क्यूंकि हम इसे पचा नहीं पाते। इसलिए बिना इंसुलिन बढ़ाये हम इसे खा सकते हैं।

जब ये स्टार्च इंटेस्टाइन में पहुँचते हैं तो वो इनसे ब्यूटेराइट बनाते हैं। ब्यूटेराइट इन्टेस्टाइन और दिमाग के लिए बहुत फायदेमंद है। इसलिए बटर खाना बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है।

रेसिस्टेंट स्टार्च हरे केले के आटे, प्लान्टिन के आटे और आलू में पाया जाता है।

वजन कम करने के लिए सही फैट खयें।

लोग सोचते हैं कि फैट खाने से वजन बढ़ता है। एंसल कीस (Ancel Keys) ने इस भ्रम को 1950 में अपनी थ्योरी की मदद से दूर किया। उन्होंने कहा कि सैचरेटेड फैट खाने से दिल की बीमारियां होती हैं । उन्होंने ठीक कहा था पर लोग आज भी इसे ले कर भ्रमित हैं।

एक अच्छी गाड़ी को तेज़ भागने के लिए हाई ऑक्टेन फ्यूल की ज़रुरत होती है। हाई ऑक्टेन फ्यूल में लो ओक्टेन फ्यूल के मुक़ाबले ज्यादा एनर्जी होती है। हमारा दिमाग और शरीर भी कुछ इसी तरह से काम करतें हैं।

हमारे शरीर को ओमेगा 3s जैसे फैट चाहिए जो वो खुद नहीं बना सकता। फैट हमारे लिए इतना जरूरी है कि हमारा शरीर उसके बिना काम ही नहीं कर सकता। फैट हमारे दिमाग, सेल्स और सभी अंगो में पाया जाता है।

फैट मायलिन (Myelin) बनाने में मदद करता है जिससे नर्स में एल्क्ट्रिसिटी तेज़ी से दौड़ती है। इससे हमारी सोचने की क्षमता बढ़ती है। अगर हम सही फैट लें तो हमारा शरीर फैट को इस्तेमाल कर स्वस्थ सेल मेम्ब्रेन बनाता है और हमें एनर्जी देता है।

तो सही फैट क्या है? मैरी एनिग (Mary Enig) की मानें तो सही फैट की पहचान दो तरीके से की जा सकती है।

पहला – फैट मॉलेक्यूल की लम्बाई देख कर। छोटा मॉलेक्यूल फायदेमंद होता है जो जलन को कम करता है। इसलिए बुलेटप्रूफ डाइट आपको एम सी टी लेने की सलाह देती है।

दूसरा यह देख कर कि वो फैट कितना स्टेबल है। सैचुरेटेड फैट को ऑक्सीडाइस होने में समय लगता है। जलन और झुर्रिओं के पीछे ऑक्सीडेशन का ही हाथ होता है।

एम सी टी आयल, घी, कोको बटर, क्रिल्ल आयल, अवोकेडो आयल, कोकोनट आयल और सन्फ्लावर लेकिटटिन में पाया जाने वाला फैट बुलेटप्रूफ हैं।

अपने खाने में हाई क्वालिटी प्रोटीन लें।

फैट की तरह ही प्रोटीन का भी सेहत पर असर पड़ता है। यह इम्यून सिस्टम को मज़बूत कर जलन को कम करता है और शरीर बनाने में मदद करता है।

प्रोटीन जरूरी इसलिए है क्यूंकि ये मसल और मास बोन डेन्सिटि (Mass Bone Density) को मेंटेन करता है। यह आपके शरीर के लिए इतना जरूरी है कि आपका शरीर ही आपको इसे सही मात्रा में खाने के लिए मजबूर करता है।

ज़्यादातर लोग सोचते है कि सभी तरह का प्रोटीन फायदेमन्द होता है। इसलिए फूड इंडस्ट्री अपने प्रोडक्ट्स में लो क्वालिटी प्रोटीन जैसे ग्लूटेन या सोया का इस्तेमाल करती है।

हाई और लो क्वालिटी न्यूट्रीएंट्स के स्टडी में पाया गया कि जिन जानवारों को अनाज खिलाया जाता था, उनके मांस में ओमेगा 35 इतना कम था कि उसको खाने का कोई फायदा नहीं था।

इसलिए आप उन जानवरों का मीट खाइए जो घास खाते हैं। इसमें नुक्सानदायक चीज़े बहुत कम होती है और न्यूट्रीएंट्स ज़्यादा होते हैं। इसमें ज़्यादा एंटी ओक्सीडेंट्स, ओमेगा 3s, मिनरल्स और विटामिन्स होते हैं।

आप उन फैट्स को खाईये जिसका रंग पीला हो। ये दिखाता है कि उस फैट में ज़्यादा न्यूट्रीएंट्स हैं। घास खाने वाले जानवरों के मीट में कैरोटेनोइड (Carotenoid) होता है जो उसे गहरा पीला रंग देता है।

ये मत सोचिये कि आर्गेनिक मीट घास खाने वाले जानवरों के मीट जितना ही फायदेमंद होता है। हालाँकि आर्गेनिक मीट नार्मल मीट से ज़्यादा अच्छा होता है पर इसमें कुछ नुकसानदायक चीज़े पायी जाती हैं जिससे मोटापा बढ़ सकता है।

ज्यादा प्रोटीन खाने से शरीर में जलन होने लगती है क्योंकि इसे पचाने में फैट या कार्बोहाइड्रेट्स से ज्यादा समय लगता है। इसलिए कभी कभी आपको मीठा खाने का मन करता है। आपके लीवर को प्रोटीन पचाने के लिए ग्लूकोज की जरूरत पड़ती है।

बुलेटप्रूफ प्रोटीन में कम मरक्युरी वाली मछलियाँ, घास खाने वाले जानवरों का माँस, अंडे, हाइड्रोलाइस्ड कोलेजन (Hydrolysed collagen) और जिलेटिन जैसी चीजें आती हैं।

उस खाने को मत खाइए जिसमें न्यूट्रिएन्ट्स नहीं हैं।

उस खाने को मत खाइए जिससे आपको नुकसान हो। यह बुलेटप्रूफ बनने का सबसे अच्छा तरीका है। पैकेट के खाने और शुगर से दूर रहिए क्योंकि इसे खाने से सिर्फ मोटापा बढ़ता है और कमज़ोरी आती है।

केमिकल से बनाए गए खाने से हमारी भूरख नहीं मिटती। बल्कि इससे हमारी भूख बढ़ती है। इनमें कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन और फैट बहुत कम होता है जिससे भूख नहीं मिटती।

पैकेट के खाने में ज्यादातर मोनो सोडियम ग्लूटामेट (Monosodium Glutamate यानि MSG) पाया जाता है। इसे वर्ल्ड वार के समय जापान में बनाया गया था। लोग इसका इस्तेमाल खराब हुए खाने के स्वाद को बढ़ाने के लिए करते थे।

एमएसजी की वजह से हमारे सेल्स एक दूसरे को सिग्नल भेजते हैं जिससे वो एक्टीवेट हो जाते हैं। जब ये सेल्स मरते हैं, तो हमारा दिमाग ज्यादा एनर्जी के लिए एक सिग्नल भेजता है। इससे सिर दर्द होने लगता है और मीठा खाने का मन करता है।

ऐसे में जब हम मीठा खाते हैं, तो हमारे शरीर को और नुकसान होता है।बहुत ज्यादा शुगर से दिमाग के डोपामाइन रिसेप्टर्स (Dopamine Receptors) कम हो जाते हैं जिससे हम एनर्जी महसूस नहीं कर पाते। ड्रग्स लेने वालो को भी यही समस्या होती है।

ज़्यादातर लोग जानते हैं कि शुगर क्रैश क्या होता है पर वो ये नहीं जानते की ये कैसे होता है। शुगर क्रैश से न सिर्फ आपका फोकस और एनर्जी खत्म होता है बल्कि इससे आपके खून में शुगर का लेवल भी कम होता है।

ज़्यादा शुगर लेने से खून में शुगर बढ़ती है। ऐसे में इन्सुलिन का लेवल इतना बढ़ जाता है कि शुगर का लेवल फिर से कम हो जाता है। अपने खाने से शुगर निकाल देने से आप अपनी सेहत पूरी तरह से सुधर सकते है।

समय समय पर उपवास करने से आपका मेटाबोलिज्म और फोकस दोनों ही बढ़ते हैं।

अगर आपको बुलेटप्रूफ बनाना है तो आपको भूख से डर नहीं लगना चाहिये। उपवास रखने से काफी फायदा हो सकता है अगर आप इसे सही तरीके से करें तो।

इंटरमिटेन फास्टिंग (Intermitten Fasting) का मतलब है सभी तरह के खाने को दिन के 6-8 घंटों में ही खाया जाए। पिछले कुछ सालों में ये बहुत पॉपुलर हो गया है क्यूंकि इससे वजन कम होता है। इससे कैंसर से सुरक्षा मिलती है और सेहत बनती है।

एल्टरनेट डे फास्टिंग (Alternate day fasting) भी एक तरह का इंटरमिटेन फास्टिंग है। इससे लंबे समय तक होने वाली बीमारियां नहीं होती। ये ट्राइग्लीसेराइड को कम करता है और कोलेस्ट्रॉल के लेवल को सुधारता है।

एल्टरनेट डे फास्टिंग (Alternate day fasting) में आप ब्रेक फ़ास्ट न खा कर सीधा दोपहर के 2 बजे खाना खाते हैं। काम करने वालों के लिए ये काफी मुश्किल काम है।

लेखक एल्टरनेट डे फास्टिंग के अलावा कोई उपवास रखने का तरीका खोज रहे थे। तब उन्हें बुलेटप्रूफ इंटरमिटेंट मिला। इसमें आप अपना दिन कॉफ़ी से शुरू करते हैं और फिर आपको दोपहर तक कुछ खाने की ज़रूरत नहीं पड़ती।

ऐसा इसलिए होता है क्यूंकि बुलेटप्रूफ कॉफ़ी के फैट से हमें काफी एनर्जी मिलती है। इससे हमारे शरीर का मैमेलियन टारगेट ऑफ़ मेटाबोलिज्म (Mammalian Target of Metabolism) बढ़ जाता है, जिसकी वजह से शरीर में प्रोटीन और मसल का बनना भी बढ़ जाता है।

जैसा पहले ही बताया गया कि बुलेटप्रूफ कॉफ़ी से कीटोसिस होता है, जिससे हमारी एनर्जी और फोकस बढ़ती है और खून में शुगर की मात्रा कंट्रोल में रहती है।

अगर आप कॉफ़ी और बटर के अलावा कुछ खाना चाहतें हैं तो प्रोटीन और फैट को एक साथ खाइए। जैसे आप अंडे के साथ भिगोये हुआ सैलमन या अवोकेडो खा सकते है। फैट और प्रोटीन साथ में खाने से हमें जल्दी भूख नहीं लगती और हमारे शरीर को प्रोटीन को अमीनो एसिड में बदलने के लिए एनर्जी मिलती है।

कुछ कुछ समय के बाद मेहनत वाली कसरत करिए।

बुलेटप्रूफ बनाने के लिए सिर्फ खाना ही ज़रुरी नहीं है। इसमें कसरत भी बहुत ज़रूरी है। लेकिन सभी कसरतें फायदेमंद नहीं होती।

अगर आप खेल कूद में अच्छे हैं तो इसका मतलब ये नहीं कि आप सेहतमंद हैं। लम्बे समय तक की जाने वाली कसरत से दिल पर असर पड़ता है और इससे दिल की बीमारियां हो सकती है। दूसरी तरफ साइकिल चलाना या वाक करना इतनी अच्छी एक्सरसाइज नहीं है।

एक्सरसाइज से बहुत फायदा हो सकता है अगर आप इसे सही तरह से करें तो। आपकी एक्सरसाइज को छोटा, मेहनत वाला, सेफ और फायदेमंद होना चाहिये। अगर ऐसा नहीं है तो आप एक्सरसाइज से होने वाले फ़ायदे का फ़ायदा सही से नहीं उठा पा रहे है।

वेट ट्रेनिंग (Weight Training) को अगर सिर्फ 20 मिनट तक किया जाए तो ये सबसे अची एक्सरसाइज है। इसे थकने तक करिये। सीटेड रो (Steady row) और चेस्ट प्रेस (Chest press) जैसे एक्सरसाइज करिये। आप जितने ज्यादा मस्कुलर होंग, उतना कम थकेंगे और बीमारियों और नुकसानदायक चीजों से उतना ही सुरक्षित रहेंगे।

जॉगिंग या वॉकिंग (Jogging or walking) अच्छे एक्सरसाइज़ नहीं हैं। आप कुछ कुछ समय पर ज़्यादा मेहनत वाले एक्सरसाइज करिये। 15 सेकंड के लिए जितना तेज़ दौड़ सकते हैं दौड़िये, फिर 90 सेकन्ड आराम करिये। 15 मिनट तक इसे दोहराइये।

ज़्यादा मेहनत वाली एक्सरसाइज से आपका शरीर ज़्यादा एंटी एजिंग हार्मोन (Anti Aging Harmone) बनाता है जिससे आप जवान दीखते हैं। ज़यादा मेहनत वाली एक्सरसाइज एन्टी एजिंग हार्मोन बनाने का सबसे अच्छा तरीका है।

ज़्यादा कसरत करना अच्छा नहीं होता। ज़्यादा ट्रेनिंग करने से नुक्सान हो सकता है। अपने शरीर को बीच बीच में आराम देना बहुत ज़रूरी होता है चाहे आप कोई भी एक्सरसाइज कर रहे हों।

कसरत करने के चार से सात दिन तक आराम करिये। एक साथ ज्यादा एक्सरसाइज करने से चोट लगने का खतरा बढ़ जाता है।

आप जैसा खाना खाएंगे आपको वैसी ही नींद आएगी।

खान पान और एक्सरसाइज के अलावा नींद का भी सेहत पर बहुत असर पड़ता है। अगर आप अच्छी नींद लेते हैं तो आपके काम करने की क्षमता 50% बढ़ जाती है।

अच्छी नींद लेने से हमारी त्वचा सेहतमंद रहती है, हम जवान दीखते हैं, इंसुलिन सही मात्रा में बनता है और हमारे काम करने की क्षमता बढ़ती है।

अच्छा महसूस करने के लिए ज्यादा देर तक सोने की जरुरत नहीं है। एक स्टडी में पाया गया कि सेहतमंद लोगों को रात में सिर्फ 6 घंटे की नींद की ही जरूरत पड़ती है।

बुलेटप्रूफ बनने में नींद का अहम हिस्सा है क्यूंकि हमारी नींद का हमारे खान पान से सीधा सम्बन्ध है। जब आप अपनी सेहत सुधार कर खुद को बुलेटप्रूफ बना लेंगे तो कम सोने पर भी आपको कोई नुक्सान नहीं होगा।

अच्छी नींद के लिए रात के खाने में फैट लें। आप बटर, कोकोनट आयल, एम सी टी आयल या एनिमल फैट खा सकते हैं। फैट हमारे शरीर और दिमाग को ज़्यादा एनर्जी देता है जिससे हमें रात भर एनर्जी मिलती रहती है।

रात में फिश आयल या क्रिल्ल आयल खाना अच्छा है क्यूँकि इसमें DHA और ओमेगा 35 जैसे फैटी एसिड पाए जाते हैं। एक स्टडी में पाया गया कि फिश आयल में पाए जाने वाले DHA से सेरोटोनिन (Serotonin) का बनना बढ़ता है। सेरोटोनिन एक न्यूरो ट्रांसमीटर है जिससे हम खुश रहते हैं। ये स्ट्रेस हार्मोन्स को कम करता है जिससे हमें अच्छी नींद आती है। सोने से पहले शहद खाने से भी आपको अच्छी नींद आती है।

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