इंट्रोडक्शन (INTRODUCTION)
डिसऑर्डर, कंफ्यूज़न, कभी ना खत्म होने वाली प्रोब्लम्स- क्या आप हर रोज़ इन्हीं सब में खुद को फँसा हुआ महसूस करते हैं? क्या आप हमेशा काम में परेशान रहते हैं? क्या आपको लगता है कि आपके रिश्ते खराब होते जा रहे हैं? अगर हाँ तो यह बुक आपके लिए है. यहाँ 12 रूल्स दिए गए हैं जो आपको अपने लाइफ में आर्डर लाने में मदद करेंगे.ये आपको बेकार के झंझटों और तकलीफों से फ्री करने में मदद करेंगे. तो आइये एक एक कर इन 12 रूल्स को समझते हैं.
स्टैंड अप स्ट्रैट विथ योर शोल्डर्स बैक (STAND UP STRAIGHT WITH YOUR SHOULDERS BACK)
क्या आपने कभी हारा हुआ फील किया है? क्या आपको लगता है कि लाइफ बहुत अनफेयर है? क्या प्रोबलम्स के बोझ तले आप ख़ुद को दबा हुआ महसूस करते हैं? शायद उस वक़्त आप निराश होकर अपना सिर नीचे झुका देते होंगे. आपके कंधे और पीठ भी झुक जाते होंगे. इस बुक के ऑथर जॉर्डन पीटरसन का कहना है कि आपको ज़्यादा देर तक इस तरह बिलकुल नहीं बैठना चाहिए.
अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा क्यों? क्योंकि इस posture की वजह से आप और भी ज़्यादा डिप्रेस फील करने लग जाते हैं. इसके बजाय, अगर आप सीधे खड़े होकर, कंधों को स्ट्रैट कर गहरी साँस लेंगे तो आप ज़्यादा अच्छा महसूस करेंगे. अपने सिर को झुकाएँ नहीं, उसे ऊँचा रखें. स्माइल करने की कोशिश करें. एक सही posture और मुस्कान आपके बॉडी में सेरोटोनिन के लेवल को बढ़ाता है.
सेरोटोनिन हैप्पी हॉर्मोन है. यह आपकी नसों को आराम देता है, उन्हें रिलैक्स करने में मदद करता है. यह आपकी इम्युनिटी को भी स्ट्रोंग करता है. इस हॉर्मोन की वजह से आपको अच्छे थॉट्स आते है.यहाँ तक कि जानवरों में भी अच्छे posture को बनाए रखना बहुत ज़रूरी है. एक स्ट्रोंग बॉडी का मतलब होता है सर्वाइव करने का ज़्यादा चांस होना.
आइये लॉबस्टर यानी केकड़े की बात करते हैं. समुद्र के नीचे गहराई में सर्वाइव करने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ता है. केकड़े की बॉडी में सेरोटोनिन का लेवल बहुत ज़्यादा होता है, उसका शरीर लंबा, स्ट्रैट और स्ट्रोंग होता है. ये उसके लिए एक बहुत बड़ा एडवांटेज है. यह एक विनर की निशानी है.
एक अच्छी posture वाला केकड़ा अपने एरिया का विनर होता है. वो आसानी से अपने शिकार को फँसा सकता है.ऐसा भी मुमकिन है कि उसे एक healthy पार्टनर मिले और वो healthy बच्चों को जन्म दे. एक अच्छा और सही posture उसके लाइफ के हर पहलु को बेटर बना देता है और उसे और ऊपर ले जाता है.
वहीं दूसरी और, एक झुका हुआ केकड़ा हमेशा एक loser ही होता है. उसके बॉडी में सेरोटोनिन का लेवल कम होता है. वो कहीं भी ज़्यादा लंबे समय तक सर्वाइव नहीं कर सकता. ऐसे में उसे एक नए और दूसरे एरिया की तलाश करनी पड़ती है. अगर वो ख़ुद को नहीं बदलेगा तो हमेशा एक बेघर केकड़ा बन कर रह जाएगा. शायद उसे कभी कोई साथी भी ना मिले.
इंसान भी इस पहलु में बिलकुल केकड़े की तरह होते हैं. ख़ुद को loser मत बनने दो. अच्छे मौकों के दरवाज़े आपके लिए सिर्फ तब खुलेंगे जब आपके थॉट्स पॉजिटिव होंगे. तो अपने कंधो और सिर को झुकाए बिना स्ट्रैट खड़े होना शुरू करो. अपने बॉडी में सेरोटोनिन का लेवल बढ़ाने की कोशिश करो.
ट्रीट योरसेल्फ लाइक समवन यू आर रेस्पोंसीबल फॉर हेल्पिंग (TREAT YOURSELF LIKE SOMEONE YOU ARE RESPONSIBLE FOR HELPING)
कुछ लोग होते हैं जो थोड़ा सा बीमार होने पर भी तुरंत डॉक्टर के पास चले जाते हैं. लेकिन जब उन्हें दवाई लिख कर दी जाती है तो वो उसे ठीक से फॉलो नहीं करते. कई लोग पैसों की कमी की वजह से दवाई नहीं खरीद पाते और कुछ तो बस जिद्दी होते हैं. उन्हें लगता है कि बीमारी तो बस वैसे ही ठीक हो जाएगी, दवाई खाने की क्या ज़रुरत है. उन्हें लगता है कि हम तो बड़े हो गए हैं, दवाई तो बच्चों को दे जाती है.
यह कितने आश्चर्य की बात है ना कि जब हमारे पालतू जानवर बीमार पड़ जाते हैं तो हम उनका कितना ध्यान रखते हैं. हम उन्हें डॉक्टर के पास ले जाते हैं, उन्हें समय पर दवाई देते हैं. ऐसा लगता है कि हमें अपने हेल्थ से ज़्यादा उनके हेल्थ की चिंता है.
और बिलकुल ऐसा ही होता है जब हमारा कोई अपना बीमार हो जाता है. हम उन्हें सही समय पर दवाई लेने के लिए याद दिलाते रहते हैं. हम तो उन्हें दवाई लेने से पहले कुछ खाना खिलाने तक बैठ जाते हैं. हम हमेशा उनसे अपना ध्यान रखने के लिए कहते रहते हैं.
तो इससे आप क्या समझे? हम दूसरों की तो परवाह करते हैं लेकिन खुद की नहीं.आपको खुद से भी उतना ही प्यार करना सीखना होगा जितना आप अपने फॅमिली और pet से करते हैं. खुद का भी ध्यान । रखें. अपनी अहमियत और वैल्यू समझना शुरू करें.
डॉक्टर की एडवाइस को फॉलो करें. हाइजीन को अपने लाइफ का पार्ट बनाएँ. Healthy खाना अपने डाइट में शामिल करें. बुरी आदतों से बचें. अपने माइंड को पॉजिटिव थॉट्स से भरें. और हमेशा कुछ ना कुछ सीखते रहे. अपने माइंड को एक्टिव बनाए रखें.
अगर आपने खुद को कंट्रोल करना और डिसिप्लिन करना सीख लिया तो सोचिये आपकी लाइफ कितनी बदल जाएगी. आपकी लाइफ कितनी organised हो जाएगी.अगर आप healthy और ख़ुश होंगे तो इसका पॉजिटिव असर आपके लाइफ के हर पहलु पर पड़ेगा.
मेक फ्रेंड्स विथ पीपल हू वांट द बेस्ट फॉर यू (MAKE FRIENDS WITH PEOPLE WHO WANT THE BEST FOR YOU)
इस बुक के ऑथर जॉर्डन एक छोटे से टाउन में बड़े हुए थे. आप कह सकते हैं कि वो जगह काफ़ी सुस्त और बोरिंग थी. ख़ासकर ठंड के मौसम में वहाँ कुछ भी करने के लिए नहीं होता था. उनका एक दोस्त था एड जो बहुत इंटेलीजेंट और स्मार्ट था. लेकिन वो एक गुस्सैल और नेगेटिव सोच रखने वाला टीनएजर बन गया था.
वो दोनों साथ में पार्टी करते और टाउन में ड्राइव पर जाया करते थे. जॉर्डन ने कॉलेज ज्वाइन कर लिया लेकिन एड ड्रग्स का गुलाम बन गया था. वो ऐसे दोस्तों के साथ समय बिताने लगा जो स्कूल कॉलेज बीच में ही छोड़ चुके थे. जॉर्डन उसकी मदद करने के लिए कुछ नहीं कर पा रहे थे.
एक दिन, एड जॉर्डन से मिलने उसके कॉलेज के अपार्टमेंट में गया. जॉर्डन ने उसका स्वागत किया लेकिन एड अकेला नहीं था.उसके साथ उसका दोस्त कार्ल था. जोर्डन उन्हें देखते ही समझ गए कि वो दोनों ड्रग्स के नशे में चूर थे. कार्ल नीचे बैठा और ऊपर सीलिंग को घूरने लगा. उसने कहा कि उसकी बॉडी ऊपर हवा में तैर रही थी.
आखिर, जॉर्डन ने एड को एक तरफ़ ले जाकर उन्हें वहाँ से जाने के लिए कहा. एड ने सिर हिला दिया.शायद सिर्फ़ लॉयल्टी की वजह से वो कार्ल के साथ घूमता था. ऐसे लोगों के साथ रहना जो नशा करते हैं, आलसी हैं और लाइफ में जिनका कोई पर्पस नहीं है, बहुत दुःख की बात है. लेकिन अंत में आप ऐसे लोगों की संगत चाहते हैं या नहीं ये सिर्फ़ आपकी चॉइस है. इसके बजाय आप ऐसे लोगों के आस पास रहना चूज़ कर सकते है जो पॉजिटिव सोच रखते हो, जो लाइफ में आपको आगे बढ़ने के लिए इंस्पायर करेंगे. अच्छे लोगों की कंपनी रखने से आप ख़ुद को दुःख और तकलीफ़ से बचा सकते हैं. लाइफ में पर्पस होना बहुत ज़रूरी है क्योंकि खाली दिमाग शैतान का घर होता है.
हर दिन बदलाव का एक नया मौका लेकर आता है. अपने पास्ट को पीछे छोड कर आगे की ओर बढ़ें. अच्छे दोस्तों का साथ आपको लाइफ में मीनिंग ढूँढने में मदद करेगा.अगर आप इन बदलावों को अपनाते हैं तो आने वाली ज़िन्दगी में होप, प्यार और खुशियाँ आपका इंतज़ार कर रही होंगी.
कम्पेयर योरसेल्फ टू हू यू वर यस्टरडे, नॉट टू हू समवन एल्स इज़ टुडे (COMPARE YOURSELF TO WHO YOU WERE YESTERDAY, NOT TO WHO SOMEONE ELSE IS TODAY)
इमेजिन कीजिये कि एक दिन आप सोशल मीडिया ब्राउज कर रहे हैं और आपके दोस्तों के पोस्ट आपके सामने आ जाते हैं.आप उनकी pictures देखने लगते हैं.उनमें से कुछ यूरोप में वेकेशन मनाने गए थे, तो किसी को जॉब में प्रमोशन मिला है, कुछ लोगों को उनका लाइफ पार्टनर मिल गया और उनकी शादी हो गई. किसी को अपने फील्ड में अवार्ड मिला और कुछ ने अपनी मास्टर्स की डिग्री कम्पलीट कर ली.
अब आप ख़ुद को उनसे compare करने लगते हैं कि कहाँ वो लाइफ में मज़े कर रहे हैं तो वहीँ दूसरी तरफ़ आप हैं जो अपने अस्त व्यस्त और गंदे अपार्टमेंट में अपनी बिल्ली के साथ अकेले बैठे बियर पी रहे हैं. अब आप बहुत insecure और जेलस फील करने लग जाते हैं. आप तो यहाँ तक सोच लेते हैं कि शायद आप बिना कुछ ख़ास किए, बिना कुछ ऐसा किए जिस पर आप प्राउड फील कर सकें, ऐसे ही अकेले मर जाएँगे.
लेकिन ये बिलकुल सच नहीं है. अगर आप एक म्यूजिशियन हैं तो ख़ुद को द ग्रेट मोज़ार्ट से compare ना करें. अगर आप शेफ हैं तो ख़ुद को मास्टर शेफ गार्डन रामसे से compare ना करे. आप के पास अपने यूनिक स्किल्स हैं. “आप उनसे अलग हैं उनसे कम नहीं”. आप ख़ुद में एक कमाल के इंसान हैं.बिलकुल आपके जैसा इस पूरी दुनिया में दूसरा कोई नहीं है.आप जैसे हैं ख़ुद को वैसे एक्सेप्ट करें. आपके जो स्पेशल स्किल्स हैं उन्हें इम्प्रूव करें. दूसरों की नक़ल करेंगे तो ना उनके जैसा बन पाएँगे और ना आपकी ख़ुद की कोई अलग पहचान बन पाएगी. ख़ुद को दूसरों से compare करने की बजाय आप कल क्या थे उससे ख़ुद को compare करें सिर्फ़ तब आप असल में फ़र्क देख और समझ पाएँगे. हर दिन ख़ुद को कल से बेटर बनाने की कोशिश करें. अपने स्किल को प्रैक्टिस करते रहे और अपनी प्रोग्रेस को ध्यान से नोटिस करें. आपको सच में ख़ुद पर प्राउड फील होने लगेगा.
ख़ुद को दूसरों से compare करने की बजाय आप कल क्या थे उससे ख़ुद को compare करें सिर्फ़ तब आप असल में फ़र्क देख और समझ पाएँगे. हर दिन ख़ुद को कल से बेटर बनाने की कोशिश करें. अपने स्किल को प्रैक्टिस करते रहे और अपनी प्रोग्रेस को ध्यान से नोटिस करें. आपको सच में ख़ुद पर प्राउड फील होने लगेगा. insecure होना अच्छी आदत नहीं है. सोशल मीडिया ब्राउज करने से या ख़ुद में कमियाँ निकालने की बजाय अपना टाइम और एनर्जी किसी प्रोडक्टिव चीज़ में लगाएँ.अगर आप काम को कल पर टालने की आदत को छोड़ कर प्रैक्टिस करने में समय लगाएँगे तो आप बहुत ज़्यादा इम्प्रूव कर सकते हैं. जो आपको पसंद है बस उसे करते रहिए.
अपने आप को दूसरों से compare करना आपके अंदर सिर्फ़ negativity को भरता है. आपके कांफिडेंस को ख़तम करने लगता है. ये आपकी अच्छाई को खत्म करके आपको एक नेगेटिव इंसान बनाने लगता है. लेकिन आपका aim ख़ुद को कल से भी एक बेटर इंसान बनाने का होना चाहिए. तब आपकी लाइफ सही मायनों में खूबसूरत और कमाल की होगी. और इसे पूव करने के लिए आपको किसी सोशल मीडिया पोस्ट की ज़रुरत नहीं होगी.
डू नॉट लेट योर चिल्ड्रेन डू एनीथिंग डेट मेक्स यू डिसलाइक देम (Do not let your children do anything that makes you dislike them) एक बार जॉर्डन ने एयरपोर्ट पर बड़ा ही दिलचस्प नज़ारा देखा. एक 3 साल का बच्चा था जो बहुत नखरे कर रहा था. वह सबके सामने ज़ोर ज़ोर से चिल्ला रहा था. उसके पेरेंट्स उसे अनदेखा कर रहे थे. वो बहुत embarass फील कर रहे थे लेकिन बस आगे चलते जा रहे थे. बच्चा अपने पेरेंट्स के पीछे पीछे चल रहा था और धीरे धीरे रोए जा रहा था.
वो सिर्फ उनका ध्यान अपनी ओर करने की कोशिश कर रहा था. हो सकता है कि उसे कुछ चाहिए था. लेकिन क्योंकि उसके पेरेंट्स उस पर ध्यान नहीं दे रहे थे इसलिए वो और ज़्यादा रोने लगा था. आस पास के सारे लोग उन्हें देख रहे थे.
अगर उसके पेरेंट्स एक बार रुक कर अपने बच्चे की पूरी बात सुन लेते, उससे बात करते तो प्रॉब्लम वहीं सोल्व हो जाती. वो बच्चा शैतानी करना और चिल्लाना बंद कर देता.
अगर आप ख़ुद एक पैरेट है तो आपने भी ये ज़रूर एक्सपीरियंस किया होगा. बच्चे कभी कभी ऐसा करेंगे क्योंकि वो नासमझ हैं. बच्चे को सही और गलत के बारे में सिखाना आपकी ज़िम्मेदारी है. आप अपने बच्चे के साथ कैसा व्यवहार करते हैं ये डिसाइड करेगा कि दूसरे उसे कैसे ट्रीट करते हैं. अगर आप impatient होंगे या उसे मारेंगे तो आप दूसरों से अच्छे व्यवहार की उम्मीद कैसे कर सकते हैं? शांत और ज़िम्मेदार पेरेंट्स एक खुश और disciplined बच्चे को बड़ा करते है. साइकोलोजिस्ट के कई सालों के रिसर्च से ये बात सामने आई है. अपने बच्चे को नई चीजें सीखने और जानने के लिए खुला छोड़ें लेकिन एक क्लियर लिमिट भी सेट करें. अगर वो कुछ गलत करता है तो उसे तुरंत रोकें. इस चीज़ को नज़रंदाज़ ना करें नहीं तो आपका बच्चा बिगड़ता चला जाएगा. वो कभी सही गलत के फ़र्क को नहीं समझ पाएगा.
अपने बच्चे की बात को ध्यान से सुनें. आप जितना शांत और ज़िम्मेदार होंगे आपका बच्चा उतना ही खुशमिजाज़ और disciplined बनेगा. उसके क्लास के बच्चे उससे दोस्ती करना चाहेंगे. टीचर्स उन्हें पसंद करेंगे. उनके पोलाइट नेचर के कारण बड़े भी उन्हें अच्छे से ट्रीट करेंगे. ये बच्चे का आल राउंड डेवलपमेंट करेगा.
बच्चे की परवरिश करना आसान काम नहीं है. इसमें बहुत पेशेंस की ज़रुरत होती है. लेकिन आप देखेंगे कि इससे आपके बच्चे पर कितना फ़र्क पड़ता है. ऐसे बच्चे एक ज़िम्मेदार, अच्छे और सक्सेसफुल एडल्ट बनते हैं. जो बच्चा यह बात जानता है कि उसके पेरेंट्स उसे प्यार करते हैं और वो उनके लिए इम्पोर्टेन्ट है, वह एक मीनिंगफुल लाइफ जीता है. उसमें कॉन्फिडेंस होता है और वो साइकोलॉजिकलि बैलेंस्ड होता है.
सेट योर हाउस इन परफेक्ट आर्डर बिफोर यू CRITICIZE THE WORLD (SET YOUR HOUSE IN PERFECT ORDER BEFORE YOU CRITICIZE THE WORLD)
2012 में, एक गनमैन ने कनेक्टिकट के एक प्राइमरी स्कूल के 20 बच्चों और 6 टीचर्स को गोलियों से भून दिया था. उसने वहाँ एक नोट छोड़ा था जिसमें लिखा था कि इंसान इस दुनिया में रहने के लायक ही नहीं है, हमें ये दुनिया वापस जानवरों को दे देनी चाहिए.
उसने यह भी लिखा कि Jews की प्रॉब्लम सोल्व करने के लिए हिटलर एक उपाय लेकर आया था वैसे ही मैं भी एक उपाय लेकर आया हूँ. उसका मानना था कि पूरी मानव जाती को ख़त्म कर देना चाहिय. एक भी इंसान जिंदा नहीं रह चाहिए. इस दुनिया में तो वैसे भी पाप ही भरा हुआ है. ये किसी नर्क से कम नहीं है तो मरने से क्या फ़र्क पड़ेगा.
हम सब की लाइफ में कभी ना कभी ऐसा समय ज़रूर आता है जब हम इस गनमैन की तरह निराश और हारा हुआ महसूस करते हैं. दुनिया में क्या क्या हो रहा है वो हम न्यूज़ में देखते हैं. कहीं जंग छिड़ी है तो कहीं अर्थक्वेक, सुनामी ने तबाही मचा रखी है. हर जगह करप्शन और गरीबी का माहौल बन गया है. अगर इस तरह से देखा जाए तो दुनिया सच में एक मायूस जगह है.
आप इसे किस नज़रिए से देखते हैं वो आप पर डिपेंड करता है. दुनिया की कमियों और बुराइयों के बारे में सोचने से पहले अपने आप को ठीक करने की कोशिश करें. जब आप ख़ुद को ही नहीं बदल सकते तो दुनिया में बदलाव क्या लाएँगे?
उन चीज़ों के बारे में परेशान ना हों जिन्हें आप कंट्रोल नहीं कर सकते. चेंज की शुरुआत अपने लाइफ से करें. ख़ुद से पूछना शुरू करें कि क्या आप अपने जॉब में अपना बेस्ट परफॉर्म कर रहे हैं? क्या आप अपने फॅमिली को प्यार और रिस्पेक्ट देते हैं? क्या आपने अपनी बुरी आदतों को बदलने की कोशिश की है?
एक्जाम्पल के लिए एंटोन चेखॉव की बात करते हैं. उनके पिता को शराब पीने की आदत थी. वो नशे की हालत में रोज़ अपने बच्चों को मारते थे. उनका परिवार गरीब था और वे एक छोटे से अपार्टमेंट में रहते थे. एंटोन के भाई बिलकुल अपने पिता की तरह हो गए थे.
लेकिन एंटोन ने बहुत मेहनत की. उन्होंने पढाई में ध्यान लगाया और स्कालरशिप हासिल की. उन्होंने खुद पर अपने माहौल का असर नहीं होने दिया. अपनी सोच को पॉजिटिव रखते हुए एंटोन ने एक बहुत अच्छी मिसाल कायम की. उन्होंने अपने भाइयों को भी बदलने के लिए encourage किया. अपने घर के माहौल और सिचुएशन को बदला.
आगे चल कर एंटोन बहुत सक्सेसफुल राइटर बने. आज भी उनके बुक्स ना जाने कितने लोगों को inspiration दे रहे हैं.
परसु व्हाट इज़ मीनिंगफुल, नॉट व्हाट इज़ एक्सपीडीएंट (PURSUE WHAT IS MEANINGFUL, NOT WHAT IS EXPEDIENT)
जब हम किसी मुश्किल समय का सामना करते हैं तो उसकी तरफ़ हमारा रिएक्शन आना नेचुरल होताहै. परेशान होना और शिकायत करना भी नेचुरल है. लेकिन ऐसा करने से इंसान अपनी तकलीफ़ और मुसीबत को बढ़ा देता है. इसके बजाय अगर वो शांत हो कर अपने emotions को कंट्रोल कर लेगा तो प्रॉब्लम का कोई ना कोई हल ढूंढ सकता है.लेकिन हडबडा जाना,गैर ज़िम्मेदार और immature इंसान की निशानी है.
आपका क्या बिलीफ सिस्टम है? आपका लाइफ में क्या पर्पस है? आपको अपने लाइफ के पर्पस और मीनिंग को खोजना होगा. जब आप किसी मकसद को पूरा करने में अपनी लाइफ लगाएँगे तब आप देखेंगे कि आप ज़्यादा organised हो गए हैं.
एक महान मकसद ही अच्छाई और बुराई के बीच का सबसे बड़ा फ़र्क होता है. एक स्ट्रोंग कैरेक्टर और एक वीक कैरेक्टर वाले इंसान में यही फ़र्क होता है. यही एक organised और disorganised लाइफस्टाइल के बीच का फ़र्क भी होता है. तो आप इनमें से क्या बनना चाहते हैं, बैटमैन या जोकर? थोर या लोकि? शरलॉक होम्स या मोरीआरटी? यह सिर्फ आप पर डिपेंड करता है!
टेल द टुथ – और एट लीस्ट डोंट लाय (TELL THE TRUTH-OR, AT LEAST, DON’T LIE)
एक समय था जब जॉर्डन अपनी वाइफ के साथ एक छोटे से अपार्टमेंट में रहा करते थे. उनके पड़ोस में एक शराबी रहता था. उसका नाम डेनिस था. वो एक लंबा चौड़ा आदमी था. वो एक पेंटर और इलेक्ट्रीशियन दोनों का काम करता था.अपने काम के समय को छोड़कर वो पूरा दिन नशे में धुत रहता था.
कई बार तो डेनिस सिर्फ दोही दिन में बीयर की 60 बोतल पी जाता था. यह भी एक आश्चर्य था कि इतना पीने के बावजूद वो ना जाने कैसे सीधा खड़ा रहता था. वह अपने सारे पैसे शराब में उड़ा देता था. जब कभी उसके पैसे और शराब ख़त्म हो जाते तो वह जॉर्डन का दरवाज़ा खटखटाता.चाहे रात के 2 क्यों ना बजे हों, वो दरवाज़ा खटखटाने से हिचकिचाता नहीं था. और तो और वो अपने पोस्टर्स, माइक्रोवेव, टोस्टर साथ में ले आता और जॉर्डन को बेचने की कोशिश करता. वो बियर खरीदने के लिए कुछ भी बेचने को तैयार था.
जॉर्डन ने कई बार उसका सामान खरीदा भी. लेकिन जॉर्डन की वाइफ का कहना था कि डेनिस को ये सब करना बंद करना होगा.जॉर्डन बहुत नर्वस थे. वह नशे में धुत एक शराबी को कैसे समझा पाएँगे कि ये सब अब नहीं चल सकता.
फ़िर जॉर्डन ने सच बोलने का फ़ैसला किया. उन्होंने डेनिस को सीधे सीधे कह दिया कि वो कोई सामान नहीं खरीदना चाहते. उन्होंने उसे समझाया कि उसकी भलाई इसी में है कि उसे और पैसे ना दिए जाएँ. जॉर्डन ने जो हकीकत था उसे साफ़ साफ़ बता दिया.
उन्होंने कोई गेम नहीं खेला. कुछ समय के लिए, डेनिस वहाँ बिलकल चुपचाप खडा रहा. वो जॉर्डन के मन को पढ़ने की कोशिश कर रहा था. उसने जॉर्डन के शब्दों में सच्चाई और इमानदारी को महसूस किया. फ़िर वो मुड़ा और चला गया. डेनिस ने फ़िर कभी जॉर्डन को कुछ भी बेचने की कोशिश नहीं की. वे अब एक दूसरे के अच्छे पड़ोसी बन गए थे.
झूठ से सिर्फ एक और प्रॉब्लम खडी हो जाती है. भले ही वो शांति बनाए रखने के लिए या किसी की फीलिंग्स को हर्ट ना करने के लिए बोला गया हो, वो फ़िर भी झूठ ही होता है. हो सकता है कि आज आप एक झूठ बोल कर किसी प्रॉब्लम से बच सकते हैं. लेकिन छोटे झूठ बड़े झूठ बनने लगते हैं. झूठ बोलते बोलते ये आपकी हैबिट बन जाती है और आपकी सोच को खराब करने लगती है.लेकिन याद रखना सच कभी नहीं छुपता और जिस दिन वो सामने आता है वो हमारी लाइफ को और भी ज़्यादा मुश्किलों और दुःख से भर देता है.इसलिए सबसे अच्छा होता है सीधे सीधे सच बोल देना.
अज़्यूम डेट द पर्सन यू आर लिसनिंग टू माईट नो समथिंगडेट यू डोंट (ASSUME THAT THE PERSON YOU ARE LISTENING TO MIGHT KNOW SOMETHING THAT YOU DON’T)
एक बार एक थेरपी सेशन में जॉर्डन के पेशेंट ने कहा“मुझे अपनी वाइफ से नफ़रत है”. उसके बाद वो कुछ सेकंड के लिए एकदम चुप हो गया. जॉर्डन उसे बड़े गौर से देख रहे थे. फ़िर उसने कहा, “रुको, मैंने कुछ ज़्यादा ही कड़वा बोल दिया. मैं उसे कभी कभी नफ़रत करता हूँ, हमेशा नहीं. मुझे इस बात से चिड है जब वो मुझे बताती नहीं है कि क्या प्रॉब्लम है और उसकी चुप्पी मुझे पागल कर देती है.”
“मेरी माँ भी हर समय ऐसा ही करती थी.उन्हें हमेशा किसी ना किसी बात की शिकायत रहती थी लेकिन बताने की बजाय वो बस उसे मन में रखती थीं. वो हमेशा कड़वा बोलती थीं और मेरे पिता को यह आदत बिलकुल पसंद नहीं थी. हम सब इस आदत से परेशान थे”.
“अब जब मैं उनके बारे में सोचता हूँ तो मेरी वाइफ मेरी माँ जितनी बुरी नहीं है. कई बार ऐसा भी हुआ है जब उसने मुझे उसकी इच्छाओं के बारे में बताया है. मुझे बुरा तब लगता है जब वो कुछ छुपाती है. शायद मैं ही ओवर रियेक्ट कर रहा हूँ. मैं अपने पेरेंट्स की तरह नहीं बनना चाहता. और इसका मेरी वाइफ से कोई लेना देना नहीं है. मुझे उसे यह बताना होगा”.
जॉर्डन पूरा समय उसकी बातें सुन रहे थे. वो कुछ नहीं कहना चाहते थे क्योंकि उनके पेशेंट को लग सकता था कि वो उसे जज कर रहे हैं या उनकी बात सुन कर वो निराश भी हो सकता था और शायद उसका मन बदल जाता. इसलिए वो बस उसे सुनते रहे. पेशेंट को खुद ये एहसास होने लगा कि वो अपनी माँ की इमेज को अपनी वाइफ में देख रहा था.
कुछ समय के बाद उसने फ़िर कहा, “इस सेशन के लिए बैंक यू डॉक्टर. मैं अब सच में बहुत अच्छा फील कर रहा हूँ”. जॉर्डन ने सिर हिला दिया. उन्हें अपना चुप रहना बिलकुल सही डिसिशन लग रहा था.
बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्हें किसी ऐसे इंसान की ज़रुरत होती है जो उन्हें सुनें. वो बहुत अकेला महसूस करते हैं. वो सिर्फ अपने मन की बात कहना चाहते हैं लेकिन उन्हें सुनने वाला कोई नहीं होता.अगर यह लंबे समय तक चला तो मानसिक रोग भी बन सकता है.अगर आप ऐसे लोगों से कुछ कहते भी नहीं सिर्फ उन्हें ध्यान से सुनते हैं तो आप उनकी बहुत मदद कर सकते हैं. ध्यान से और अच्छे से सुनें.
उसे ये जताएं कि आपको उसकी परवाह है और आप उसकी सिचुएशन को समझने की कोशिश कर रहे हैं. इसे बिना शब्दों के कम्यूनिकेट करना कहते हैं. बोलने वाला आपके हाव भाव से समझ जाता है कि आप उसकी बात ध्यान से सुन रहे हैं या नहीं, आपको उनसे हमदर्दी है या नहीं या आप भरोसा करने लायक हैं या नहीं.बिलकुल डॉ. जॉर्डन की तरह आप उस इंसान को अच्छा महसूस कराने में मदद कर सकते हैं. अगर आप उसे कोई एडवाइस नहीं भी देते तो उसे बोल कर अपने थॉट्स को क्लियर करने दें. अक्सर ऐसे लोग ख़ुद अपने प्रॉब्लम का हल ढूंढ लेते हैं इसलिए उन्हें सिर्फ़ पूरे ध्यान से सुनें.
बी प्रीसाईस इन योर स्पीच (Be precise in your speech) बिली एक छोटा बच्चा है जिसे एक सुबह अपने कमरे में एक ड्रैगन दिखाई दिया.वो छोटा सा था, एक छोटी बिल्ली के जैसा. वो प्यारा भी था और फ्रेंडली भी.बिली अपनी मम्मी के पास गया और कहने लगा, “मम्मी देखो, मेरे कमरे में ड्रैगन है लेकिन उसकी मम्मी कहती है, “बिली, ड्रैगन जैसा कुछ नहीं होता है”.
धीरे धीरे वो ड्रैगन बड़ा होने लगा. उसने किचन का सारा खाना ख़त्म कर दिया. जल्द ही वो उनके घर जितना बड़ा हो गया. मम्मी बस खाने के टुकड़ों को साफ़ करने में लगी थी. उन्हें तो पता भी नहीं चला कि कब ड्रैगन अपने साथ घर को लेकर उड़ने लगा.
जब बिली के पापा ऑफिस से घर आए तो उन्हें अपना घर नहीं मिल रहा था. उनके घर की जगह वहाँ बस एक खाली ज़मीन थी.फ़िर एक पोस्टमैन ने उन्हें बताया कि उनका घर कहाँ गया.उसके पापा ने हवा में घर को लटकते हुए देखातो उसे पकड़ने के लिए उछले. वो ड्रैगन की पूछ पकड़ कर उसकी बॉडी पर चढ़ गए.
ड्रैगन की पीठ पर उन्हें बिली और मम्मी दिखाई दिए. मम्मी अब भी इस बात की रट लगाए हुए थी कि ड्रैगन जैसी कोई चीज़ होती ही नहीं है. लेकिन बिली ने दावे के साथ कहा कि ड्रैगन होते हैं मम्मी. उसी पल वो ड्रैगन सिकुड़ कर छोटा होने लगा. वो फ़िर से एक बिल्ली के जितना छोटा हो गया था.
बिली, पापा और मम्मी अब तीनों इस बात से सहमत थे कि बिल्ली के साइज़ जितने ड्रैगन होते हैं और वो बड़े ड्रैगन से कहीं बेहतर होते हैं. अब मम्मी ये सोचने लगी कि ड्रैगन इतना बड़ा क्यों हुआ. बिली कहता है, “शायद वो हमें अपने होने का एहसास दिलाना चाहता था.” बिलकुल ऐसा ही होता है जब हम अपने प्रॉब्लम को पहचान नहीं पाते. वो धीरे धीरे और भी ज़्यादा बड़ी
और खराब होने लगता है. अगर आप किसी प्रॉब्लम की जड़ को नहीं समझ पाए तो आप उसे कभी हल भी नहीं कर पाएँगे.
यही कारण है कि हमें बहुत सोच समझ कर बोलने की ज़रुरत है. यह मत कहो कि सब कुछ गलत है लेकिन यह भी मत कहो कि कुछ भी गलत नहीं है.बढ़ा चड़ा कर या कम कर के नहीं बल्कि जो प्रॉब्लम है बस वही बोलो.एक बार जब आप प्रॉब्लम को पहचान लेते हैं तब आपको समझ में आ जाता है कि उसे कैसे सोल्व करना है.
डू नॉट बोदरचिल्ड्रेन व्हेन दे आर स्केटबोर्डिंग (DO NOT BOTHER CHILDREN WHEN THEY ARE SKATEBOARDING)
जॉर्डन अक्सर टोरोंटो यूनिवर्सिटी की एक बिल्डिंग में बच्चों को स्केटबोर्डिंग करते हुए देखते थे. वहाँ काफ़ी खुली जगह थी जहां बच्चे प्रैक्टिस किया करते थे. वो वहाँ के स्टील के रेलिंग और सीढ़ियों पर नए नए करतब करते रहते थे. सड़क के दूसरी तरफ़ एक प्लेग्राउंड था जहां बच्चे खेलना पसंद करते थे. लेकिन वहाँ की लोकल गवर्नमेंट ने बच्चों के वहाँ जाने पर रोक लगा दी. उस जगह को चारों ओर से बंद कर दिया गया. बड़ों का कहना था कि स्केटबोर्डिंग बच्चों के लिए काफ़ी खतरनाक होती है.
जॉर्डन इससे सहमत नहीं थे. उनका मानना था कि प्रैक्टिस करने से ही बच्चे किसी चीज़ में मास्टर बन सकते हैं. हाँ, इसमें कोई दो राय नहीं है कि स्केटबोर्डिंग करते वक़्त वो कई बार गिरते हैं और उन्हें काफ़ी चोट आती है लेकिन बच्चे हमेशा उठ कर दोबारा कोशिश करते थे. अगर उनके खेलने पर ही रोक लगा दी गई तो वो कभी नहीं सीख पाएँगे.
कई सारे पेरेंट्स अपने बच्चों के प्रति ज़रुरत से ज़्यादा प्रोटेक्टिव होते हैं.वो अपने बच्चों पर कई चीज़ों की पाबंदी लगा देते हैं. वो हमेशा बीच में आकर बच्चे की प्रॉब्लम को सोल्व कर देते हैं. इसका नतीजा यह होता है कि बच्चा डरपोक और वीक हो जाता है. वो अपने पेरेंट्स की मदद पर डिपेंडेंट हो जाता है. वो खुद डिसिशन नहीं ले पाता.
ऐसा अपने बच्चे के साथ ना होने दें. अगर आपके बच्चे का अपने बेस्ट फ्रेंड के साथ झगड़ा हो जाता है तो उसकी बात ध्यान से सुनें लेकिन उन दोनों के बीच आप interefere ना करें. आप उसकी प्रॉब्लम को हैंडल ना करें, उसे करने दें. आपके बच्चे को ख़ुद पता होगा कि उसे क्या करना चाहिए ख़ासकर जब उसे ये पता होता कि आप पूरी तरह उसके साइड में हैं.इससे उसमें कॉन्फिडेंस डेवलप होने लगता है. वो किसी पर डिपेंडेंट होने की बजाय प्रॉब्लम को हैंडल करना सीख जाता है.
पेट् अ कैट व्हेन यू एनकाउंटर वन ओन द स्ट्रीट (PET A CAT WHEN YOU ENCOUNTER ONE ON THE STREET)
एक बड़ी अच्छी कहावत है “स्टॉप एंड स्मेल द फलावर्स” जिसका सिंपल मीनिंग है ठहराव. हम सब बहुत बिज़ी हैं और बस दौड़ते ही जा रहे हैं. हम में से कोई रुकना नहीं चाहता. लेकिन थोड़ा रुकना, बीच बीच अपनी स्पीड को थोड़ा स्लो करना बहुत ज़रूरी है. अगर सिर्फ़ दौड़ते ही जाएँगे तो लाइफ की कार आउट ऑफ़ कंट्रोल भी हो सकती है. हम सब तो हमेशा बिज़ी ही रहने वाले हैं. हम ना जाने कितने काम और कितनी ज़िम्मेदारियों में फंसे हुए हैं. हमें रुक कर सोचने का और साँस लेने का मौका ही नहीं मिलता.
तो ज़िन्दगी जो छोटी छोटी खुशियाँ ले कर आती है ये उसे एन्जॉय करने के बारे में है. हो सकता है कि घर लौटते वक़्त आपको सड़क पर कुछ बच्चे डांस करते हुए दिख जाएँ, ये आपके चेहरे पर मुस्कान ले आता है. या आप जब आप एक बुजुर्ग कपल को एक दूसरे का हाथ थामे धीरे धीरे चलते हैं तब भी आप मस्कराए बिना नहीं रह पाते. या जब आप एक बिल्ली को खाने की तलाश करते देखते हैं तब भी आपके चेहरे पर स्माइल आ ही जाती है.रिलैक्स करना सीखें, थोड़ा रुकना सीखें.आप कुछ देर रुक कर बिल्ली को प्यार से सहला सकते हैं. आप कुछ देर रुक कर नेचर की खूबसूरती को निहार सकते हैं.यह प्रकृति बहुत सुंदर है लेकिन यहाँ रुक कर इसे देखने का वक़्त किसके पास है, है ना?
आपके पास जो छोटी छोटी चीजें हैं उन्हें appreciate करें.अपनों के लिए समय निकालें, उनके साथ समय बिताएँ.खुद के लिए भी समय निकालना सीखें. आपका भी रिलैक्स करना बहुत ज़रूरी है. लाइफ में थोड़ा ठहराव बहुत अच्छा होता है. अगर आप बिना रुके लगातार काम करते रहेंगे तो आपकी बॉडी और माइंड बिलकुल थक जाएँगे. काम में आपकी प्रोडक्टिविटी और आपके पर्सनल रिलेशन खराब होने लगेंगे. आप सिर्फ एक मशीन बन कर रह जाएँगे.
हमारी जिंदगी अस्त व्यस्त नहीं होनी चाहिए. आप लाइफ के हर पहलु में आर्डर ला सकते हैं, बस अपना नज़रिया बदलने की ज़रुरत है.
12 Rules inshorts are-
- “Stand up straight with your shoulders back.”
- “Treat yourself like you are someone you are responsible for helping.”
- “Make friends with people who want the best for you.”
- “Compare yourself to who you were yesterday, not to who someone else is today.”
- “Do not let your children do anything that makes you dislike them.”
- “Set your house in perfect order before you criticize the world.”
- “Pursue what is meaningful (not what is expedient).”
- “Tell the truth — or, at least, don’t lie.”
- “Assume that the person you are listening to might know something you don’t.”
- “Be precise in your speech.”
- “Do not bother children when they are skate-boarding.”
- “Pet a cat when you encounter one on the street.”
कन्क्लू ज़न (CONCLUSION)
तो आपने इस बुक में उन 12 रूल्स के बारे में जाना जो आपकी लाइफ को organised बना देगा. इन्हें एक एक कर अप्लाई करके आप अपनी लाइफस्टाइल में होने वाले बदलाव को ख़ुद फील कर पाएँगे.
सबसे पहले बिना झुके स्ट्रैट खड़े होने की आदत डालें. औरों के साथ साथ अपना भी ध्यान रखना शुरू करें. अच्छे लोगों से दोस्ती करें.अपने स्किल को इम्प्रूव करने की कोशिश करें.आप में होने वाले इम्प्रूवमेंट को नोटिस करें. एक शांत और ज़िम्मेदार पैरेंट बनें. पहले ख़ुद की कमियों और दोष को दूर करें, अपने घर को ठीक करें. एक मीनिंगफुल लाइफ जीने के लिए लाइफ में अपना पर्पस ढूँढें. हमेशा सच बोलें. दूसरों की बात को इम्पोर्टेस देना भी ज़रूरी है इसलिए एक अच्छे listener बनें. अपनी प्रॉब्लम की जड़ को समझने की कोशिश करें तब आपको उसका सही solution मिलेगा. अपने बच्चों को खुला छोडें, उन्हें ख़ुद सीखने दें.
ऐसा कोई शख्स नहीं है जो आपके लाइफ को डिफिकल्ट बना रहा है. आप ख़ुद इसके ज़िम्मेदार हैं इसलिए इसका कंट्रोल आपको अपने हाथों में लेने की ज़रुरत है.आपके साथ जो कुछ भी होता है वो आपके ही थॉट्स और actions का नतीजा है.
हो सकता है कि अभी आपकी लाइफ इतनी disorganised हो कि आपको लगता होगा कि आप अंधकार में कहीं खो गए हैं लेकिन ये 12 रूल्स आपके लिए उम्मीद की किरण का काम करेंगे. इन्हें अपने लाइफ में अप्लाई करना शुरू करें. आपको जल्दी बहुत शांति और ख़ुशी मिलेगी.